वीरेन्द्र सहवाग बॉयोग्राफी (Virender Sehwag Full Biography in Hindi)

भारतीय क्रिकेट का इतिहास कई दिग्गज खिलाड़ियों की गाथाओं से भरा हुआ है, लेकिन जब बात विस्फोटक और निडर बल्लेबाज़ की होती है तो सबसे पहला नाम वीरेन्द्र सहवाग (Virender Sehwag) का आता है।

virender sehwag biography in hindi
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उन्होंने अपनी तूफानी बल्लेबाज़ी से क्रिकेट को नई दिशा दी। क्रिकेट के जानकार कहते हैं – “सहवाग जब खेलते थे, तो पूरा स्टेडियम साँसें रोककर देखता था।”

सहवाग सिर्फ बल्लेबाज़ नहीं थे बल्कि एक ऐसे क्रिकेटर थे जिनकी मौजूदगी ही विरोधी टीम के गेंदबाजों में डर पैदा कर देती थी। उन्हें “नवाब ऑफ नजफगढ़” और “वीरू” के नाम से भी जाना जाता है।

प्रारंभिक जीवन और परिवार

वीरेन्द्र सहवाग का जन्म 20 अक्टूबर 1978 को हरियाणा के नजफगढ़ के एक जाट परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम कृष्णान सहवाग था, जो एक अनाज व्यापारी थे। माता का नाम कृष्णा सहवाग है।

बचपन से ही सहवाग को क्रिकेट खेलने का शौक था। कई बार उनके माता-पिता उनसे नाराज़ हो जाते थे क्योंकि वे पढ़ाई की जगह ज़्यादा समय क्रिकेट को देते थे।

लेकिन उनके पिता ने बेटे के जुनून को देखते हुए क्रिकेट खेलने की इजाज़त दी और उन्हें एक प्लास्टिक बैट भेंट किया। यह वही पल था जब सहवाग का जीवन क्रिकेट की ओर मुड़ गया।

शिक्षा और क्रिकेट की शुरुआत

सहवाग ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अरवाचीन भारती पब्लिक स्कूल, दिल्ली से की। स्कूल के दिनों में ही उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।

वह शुरू में गेंदबाज़ बनना चाहते थे, लेकिन उनकी बल्लेबाज़ी ने सबका ध्यान खींच लिया।

सहवाग के माता-पिता उनकी चोट लगने की घटनाओं से परेशान रहते थे।

एक बार उनके दाँत टूट गए तो परिवार वालों ने क्रिकेट बंद करने की सोच ली, लेकिन सहवाग के जुनून को देखकर उन्होंने हार मान ली।

घरेलू क्रिकेट करियर

सहवाग ने दिल्ली क्रिकेट टीम से घरेलू क्रिकेट की शुरुआत की। उनका खेल अलग ही अंदाज़ का था – बिना डरे आक्रामक बल्लेबाज़ी करना।

रणजी ट्रॉफी और अन्य घरेलू मैचों में उन्होंने लगातार अच्छे प्रदर्शन किए, जिससे उन्हें भारतीय टीम में जगह मिलने का रास्ता खुला।

अंतरराष्ट्रीय करियर

वनडे डेब्यू

वीरेन्द्र सहवाग ने भारत के लिए पहला वनडे मैच 1999 में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में खेला।

टेस्ट डेब्यू

साल 2001 में सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ब्लूमफोंटेन टेस्ट मैच से टेस्ट करियर की शुरुआत की। इस मैच में उन्होंने शतक बनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा।

सहवाग का सुनहरा दौर

  1. 2004 – पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान टेस्ट में 309 रन
    • यह सहवाग का पहला तिहरा शतक था और भारत का भी पहला ट्रिपल सेंचुरी।
    • इसके बाद उन्हें “मुल्तान का सुल्तान” कहा जाने लगा।
  2. 2008 – चेन्नई टेस्ट में 319 रन
    • उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरा ट्रिपल सेंचुरी बनाया। यह टेस्ट क्रिकेट में अब तक का सबसे तेज़ तिहरा शतक है।
  3. 2011 – इंदौर वनडे में 219 रन
    • वनडे में सहवाग का यह ऐतिहासिक पारी थी। उस समय यह वनडे क्रिकेट का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर था।

आँकड़े (Career Statistics)

  • टेस्ट मैच – 104 (8,586 रन, 23 शतक, औसत 49.3)
  • वनडे मैच – 251 (8,273 रन, 15 शतक, औसत 35.05)
  • टी20 इंटरनेशनल – 19 (394 रन)
  • आईपीएल – दिल्ली डेयरडेविल्स और किंग्स XI पंजाब की तरफ से खेले।

खेल शैली

सहवाग की बल्लेबाज़ी का अंदाज़ एकदम अलग था।

  • टेस्ट हो या वनडे, वह गेंदबाज पर शुरुआत से ही हावी हो जाते थे।
  • उनकी पहली गेंद पर चौका मारने की आदत मशहूर थी।
  • सहवाग चौके-छक्के से रन बनाकर दबाव खत्म कर देते थे।
  • उनकी बल्लेबाज़ी देखकर ऐसा लगता था मानो वह नेट प्रैक्टिस कर रहे हों।

व्यक्तिगत जीवन

सहवाग ने 2004 में आरती अहलावत से शादी की।
उनके दो बेटे हैं – आर्यवीर और वेदांत

परिवार के साथ समय बिताना उन्हें हमेशा पसंद रहा है। क्रिकेट से संन्यास के बाद वह अपने बच्चों को पढ़ाई और खेल दोनों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

संन्यास और बाद का जीवन

वीरेन्द्र सहवाग ने 2015 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
इसके बाद उन्होंने –

  • कमेंट्री शुरू की।
  • कोचिंग और क्रिकेट अकादमी चलाई।
  • सहवाग इंटरनेशनल स्कूल (हरियाणा) की स्थापना की।
  • सोशल मीडिया पर वह अपने मज़ाकिया और चुटीले अंदाज़ के लिए मशहूर हैं।

सम्मान और पुरस्कार

  • अर्जुन अवार्ड (2002)
  • पद्मश्री (2010)
  • ICC टेस्ट प्लेयर ऑफ़ द ईयर (2010)
  • विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर (2009)

दिलचस्प बातें (Interesting Facts)

  1. सहवाग बचपन में सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़े फैन थे।
  2. उनकी बल्लेबाज़ी शैली को कई बार “कॉपी ऑफ सचिन” कहा गया।
  3. वह पहले भारतीय हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरे शतक लगाए।
  4. सहवाग संगीत सुनकर बल्लेबाज़ी करने से पहले तनाव दूर करते थे।
  5. उन्हें पढ़ाई से ज़्यादा गणित पसंद नहीं था, लेकिन मैदान पर रन बनाने की गणित उन्हें अच्छे से आती थी।

निष्कर्ष

वीरेन्द्र सहवाग भारतीय क्रिकेट के उन दिग्गजों में से हैं जिन्होंने खेल को आक्रामकता और आत्मविश्वास का नया रूप दिया।

उनकी बल्लेबाज़ी ने दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों को रोमांचित किया। आज भी जब सहवाग की तूफानी पारियों की चर्चा होती है तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।

सहवाग सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं बल्कि क्रिकेट के वो योद्धा हैं जिन्होंने यह सिखाया कि खेलते समय डर को पीछे छोड़ देना चाहिए। उनका नाम हमेशा क्रिकेट इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा।

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